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पिछले चार सौ वर्षों से अधिक समय से तिब्बत व तिब्बती समुदाय के धर्मगुरु के साथ-साथ राजनीतिक प्रमुख का जिम्मा संभाले दलाईलामा की राजनीतिक शक्तियां का हस्तांतरण निर्वासित तिब्बतियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अगर तिब्बती इतिहास को खंगाले तो राजनीतिक शक्तियों की तिब्बत में सबसे पहले जिम्मेवारी पांचवें दलाईलामा ने संभाली थी। इस समय तिब्बती समुदाय के प्रमुख के रूप में 14वें दलाईलामा यह जिम्मेवारियां संभाले हुए है। लेकिन इस वर्ष मार्च माह में 14वें दलाईलामा ने अचानक राजनीतिक सन्यास लेने की घोषणा कर सभी सांसत में डाल दिया। इसके बाद दलाईलामा की सभी राजनीतिक शक्तियों को हस्तांतरण के लिए विश्व भर में निर्वाचित 418 तिब्बती प्रतिनिधियों ने मंथन शुरू किया। इस मंथन से इन शक्तियों को निर्वाचित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री सहित कुछ अन्य मंत्रियों को देने का खाका तो तैयार किया गया। लेकिन खाके के अंत में उन्होंने एक बार फिर तिब्बती सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा से इस बारे पुर्नविचार करने और पूरी तरह से न सही औपचारिक रूप से ही तिब्बती प्रमुख बने रहने की अपील कर डाली। लेकिन दलाईलामा ने इस अपील को भी पूरी तरह से ठुकरा दिया है। ऐसे में दलाईलामा के पास मौजूद नौ सबसे बड़ी राजनीतिक शक्तियों को चलाना अब तिब्बती प्रतिनिधियों के लिए एक चुनौती होगा। वहीं, तिब्बत के मसले को लेकर भी एक नई चुनौती तिब्बती समुदाय के समक्ष होगी। अभी तक दलाईलामा ही खुद इस बागडोर को संभाले हुए है। लेकिन अब अधिकांश शक्तियां निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री के पास चली जाएगी। ऐसे में तिब्बती समुदाय के लिए बिना दलाईलामा के राजनीतिक मसलों से संबंधी नैय्या को पार लगाकर तिब्बत के हल को सफल बनाना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
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