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वो पाकिस्तान से अब भी लड़ रहे है लड़ाई

The Voice Of Himalaya
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भारतीय सीमा में कारगिल व द्रास सेक्टर में पाक सेना की घुसपैठ की पहली सूचना देने वाले कैप्टन सौरभ कालिया के पिता को अभी भी न्याय नहीं मिल पाया है। जिस ढंग से कैप्टन सौरभ कालिया व पांच अन्य भारतीय सैनिकों के साथ पाकिस्तान सेना द्वारा अमानवीय व्यवहार किया गया था। उसको लेकर आज तक ऐसा कुछ नहीं हो सका है, जिससे ऐसा मान लिया जाए कि कहीं न कहीं इस अमानवीय व्यवहार को करने वाले दोषियों पर कोई कार्रवाई हुई हो। इसको लेकर शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डा. एनके कालिया लगातार भारत सरकार के प्रधानमंत्री सहित अन्य मंत्रियों से पत्र व्यवहार कर चुके है। लेकिन आश्वासनों के सिवाए कुछ नहीं मिला। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत की सीमा की रक्षा के लिए जिन जाबांजों ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया हो। उनके लिए सरकार द्वारा क्या किया गया। केवल परिजनों को कुछ मदद देना ही सब कुछ है। लेकिन इस मामले में आज 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हो सका। जबकि कारगिल युद्ध के समय शहीद सौरभ कालिया सहित पांच अन्य जवानों के साथ पाकिस्तान द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री से लेकर विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया था कि इस मुद्दे को न केवल पाकिस्तान के साथ उठाया जाएगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मसले को उठाया जाएगा। मगर हुआ कुछ नहीं। इस सबके बाद वर्ष 2009 में कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डा एनके कालिया ने बाकायदा प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर अन्य महत्वपूर्ण कार्यालयों से आरटीआई के तहत बाकायदा यह जानकारी भी मांगी कि कैप्टन सौरभ कालिया व अन्य पांच जवानों के साथ युद्ध के समय हुए अमानवीय व्यवहार को लेकर क्या कदम उठाया गया है। इस का सरकार ने केवल यहीं गोलमोल जबाव दिया है कि इस मसले के बारे में बाकायदा पाकिस्तान के साथ विरोध जताया गया है। इसके अलावा कुछ नहीं। उल्लेखनीय है कि कैप्टन सौरभ कालिया व उनके साथ जवानों ने सबसे पहले यह सूचना दी थी कि कारगिल के क्षेत्र में घुसपैठ शुरू हो गई है। इस सीमाई क्षेत्र में गश्त के दौरान कैप्टन सौरभ कालिया सहित पांच अन्य जवानों का पहली बार पाकिस्तान सेना के साथ मुठभेड़ हुई थी तथा उनकी टुकड़ी ने पाकिस्तानी सेना को कड़ी टक्कर दी थी। लेकिन हथियार खत्म होने के कारण पाकिस्तानी सेना ने उन्हें 15 मई 1999 को बंदी बना लिया था और इस दौरान उनके साथ बेहद बुरा व्यवहार किया था। 9 जून 1999 को पाकिस्तान सेना ने कैप्टन सौरभ कालिया सहित पांच अन्य जवानों के शव भारत को सौंपे थे। इस दौरान पता चला था कि पाक सेना ने इन जवानों को प्रताडि़त करते हुए न केवल इनसे मारपीट की थी। बल्कि इनके शरीरों के सिगरेट से जलाया गया था, उनके दांत तोड़ दिए गए थे व आंखे तक फाड़ दी गई थी। इस अमानवीय व्यवहार ने सभी को हैरान कर दिया था। उस समय इसको लेकर पाक सेना की हर जगह भत्र्सना की गई थी। बाकायदा सरकार ने इस मामले को पाक के सामने रखकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करवाने का आश्वासन दिया था। मगर आज तक कुछ नहीं हुआ। कैप्टन सौरभ कालिया के पिता डा. एनके कालिया का कहना है कि उन्होंने लगातार इस मामले को भारत सरकार के समक्ष उठाया। उन्हें कई आश्वासन भी मिले। लेकिन हुआ कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय मिलने बारे उम्मीद भी कम ही है, क्योंकि अफजल गुरु व कसाब जैसे आंतकी जो भारत के हाथों में हैं। आज तक उनका ही कुछ नहीं हो सका, तो जो लोग पाकिस्तान में हैं। सरकार उनका क्या कर सकती है। फिर भी वह इस मसले को लगातार उठाते रहेंगे। इसके लिए उन्हें लगातार लोगों का ई-मेल व पत्रों के माध्यम से पूरा समर्थन मिल रहा है।

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