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जब हिमाचल-प्रदेश में पॉलीथीन बैग पर प्रतिबंध लगा, तो हर कोई यह सोच रहा था कि यह प्रतिबंध कभी सफल नहीं हो सकता। क्योंकि पॉलीथील के लिफाफे व बैग हर घर से काफी जुड़ चुके थे। प्रतिबंध के बावजूद भी इनके प्रयोग का क्रम जारी रहा। इसी बीच सरकार ने इनका प्रयोग करने वालों के चालान काटना शुरू कर दिए और धीरे-धीरे इनके प्रयोग से हर कोई तौबा करने लगा और आज हिमाचल-प्रदेश में हालत यह हो गई है कि कोई भी पॉलीथीन के बैग व लिफाफे का प्रयोग करने से डरता नहीं, बल्कि इसके बंद होने के बाद जो यहां की सुंदरता को लग रहा ग्रहण अचानक रूका है, उसे देख हर कोई अब इसका इस्तेमाल खुद ही नहीं करना चाहता। धीरे-धीरे लगे इस प्रतिबंध के बाद अब हिमाचल सरकार ने प्लास्टिक के कप व प्लेट पर भी पूरा प्रतिबंध लगा दिया है। जोकि ऐतिहासिक प्रतिबंध है। इसके अलावा यहां की सरकार ने प्रदेश में मौजूद प्लास्टिक को ठीकाने लगाने के लिए उसे लोगों से खरीदना शुरू कर दिया है और इसे लोक निर्माण विभाग के माध्यम से सड़कों के निर्माण में प्रयोग किया रहा है। जो सरकार का एक सराहनीय कदम है। इससे यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर घाटियों, नदियों व नालों के किनारे लग रहे प्लास्टिक की गंदगी के ढेर भी गायब होने लगे है और फिर से इनकी सुंदरता लौटने लगी है। लेकिन इसके विपरीत जब देश के अन्य राच्यों में जाया जाता है, तो वह धड़ल्ले से प्लास्टिक के बैगों व लिफाफों का प्रयोग होता दिख काफी बुरा लगता है। अगर एक दुकान में सब्जी या फल ले ले तो उन्हें इतने काले रंग के पॉलीथीन के लिफाफों में डाल दिया जाता है, कोई ओर समान ले तो भी धड़ाधड़ प्लास्टिक के बैग दे दिए जाते है। भले ही उस समय इनका प्रयोग अच्छा लगता हो। लेकिन कूड़े के जरिए यहीं बैग व लिफाफे वहां की सड़कों व गलियों में पहुंच जाती है और इनके किनारे बनी नालियों को बंद कर बरसात को तांडव मचाने का पूरा मौका उपलब्ध करवाते हैं। यह एक ऐसी गंदगी है, तो कभी नष्ट नहीं होती है। यह गंदगी खेतों में भी जाकर किसानों के लिए आफत बन रही है। ऐसे में अगर हिमाचल-प्रदेश इस पर प्रतिबंध लगा सकत है, तो देश के बाकि राच्यों क्यों नहीं।
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