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हे जटाधर! जूडी जैसा जज्बा दीजिए

The Voice Of Himalaya
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पहाड़ों पर चांदी सी चमकती बर्फ और स्वच्छ-शीतल बयार में चाहे स्थानीय लोगों को बिगड़ते पर्यावरण की आहट न सुनाई दे रही हो, लेकिन हजारों मील दूर अपने देश से भारत में महज घूमने के लिए आई इंग्लैंड की जूडी अंडरहिल्स ने उसे पहचान लिया है। मैक्लोडगंज में सफाई अभियान छेड़ने वाली इस 34 वर्षीय युवती ने अब हिमाचल के सबसे पवित्र स्थानों में एक शिवधाम मणिमहेश की झील व भरमौर-मणिमहेश मार्ग की सफाई का बीड़ा उठा लिया है।

2008 में धर्मशाला में घूमने व यहां निर्वासित तिब्बती बच्चों को शिक्षित करने पहुंची जूडी ने जब यहां के पहाड़ों में कूड़ा-कर्कट देखा, तो लक्ष्य ही बदल दिया और मैक्लोडगंज से त्रियूंड के बीच के पहाड़ों की सफाई का अभियान छेड़ा। माउंटेन क्लीनरों की एक टीम के साथ जूडी ने इस अभियान को पूरा किया। उन्हें एक संस्था ने ‘ग्रीन हीरो’ सम्मान भी दिया। अब उनका रुख चंबा की मणिमहेश यात्रा है। अब से पहले मणिमहेश यात्रा के दौरान कई क्विंटल कचरा यहां की वादियों को खराब करता रहा है। यह पता चलते ही जूडी ने मणिमहेश का दौरा कर डाला। जूडी बताती हैं, ‘अभी मणिमहेश का दौरा कर लौटी हूं। काफी निराश हूं कि इतने पवित्र स्थान में जगह-जगह गंदगी व कचरा है..वह भी तब जब अभी यात्रा शुरू भी नहीं हुई है।’ बकौल जूडी, पहली नजर में इतने विशाल क्षेत्र में अभियान को अंजाम देना उन्हें कुछ कठिन तो लगा, लेकिन अब चुनौती स्वीकार है।
हे जटाधर! Humey be जूडी जैसा जज्बा दीजिए

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